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 कश्ती..

मैं एक कश्ती हूँ सवारी को एक किनारे से दूसरे किनारे पहुंचाना काम है जब लहरे तेज गति से चलती है तो मै ङगमगा जाती हूँ फिर मुझे सवारी पतवार की सहयता से मुझे सम्भाल लेती है इस प्रकार जीवन चलता रहता है मैं एक कश्ती हूँ ।



कल का बोझ आज क्यों उठाना .....

कल का बोझ आज क्यों उठाना बीते हुए पलो को  भुलाना चाहते है तो जख्म फिर से भर आते है कल का बोझ आज क्यों उठाना।



अधूरी ख्वाहिश...

कुछ अधूरी ख्वाहिश बाकी है ।

जो किसी मजबूरी से बंधी है ।

अधूरी ख्वाहिश ख्वाब कि तरह बन गई है ।

ख्वाहिश को पाने की चाहत तो अभी बाकी है ।




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