Jindgi shayri and jindi poetry
Potery 1
कभी-कभार कुछ ठीक होने लगता है जिंदगी में
तभी अचानक से सब कुछ बिखर जाता है
अंदर से टूटकर बिखर जाती हूँ खुद को संभालना भूल जाती हूँ
तब चारदिवार में रहना पसंद होता है जब कुछ ठीक होने लगे किस्मत साथ नहीं देती
किसी को अपना हाल बताने को मन नहीं करता खुद को बड़ी मुश्किल से चारदिवर से बाहर निकला था
मगर अब फिर से फिर रहने का मन करता है
जब भी चारदिवर के अंदर रहकर थक जाती हूँ या परेशान हो जाती हूँ
फिर अकेले उठने की हिम्मत करती हूँ जब फिर से अकेले अपने साथ चलने लगती हूँ
तब किस्मत अचानक से साथ छोड़ देती है
फिर से टूटकर बिखर जाती हूँ ।
2.लफ्ज़ों का खेल अजीब है..💕
लहजे बदल जाएं तो ये लफ्ज़
तासीर बदल देते हैं.....💕
सिमते बदल जाएं तो मतलब
बदल देते हैं.....💕
क़िरदार बदल जाएं तो ज़िंदगी
बदल देते हैं.....💕
दिल मे उतर जाएं तो खयाल
बदल देते हैं.....💕
बड़े अजीब मिजाज़ रखते हैं
ये अल्फाज़.....💕
खुद वही रहेते हैं इंसान बदल
देते हैं.....💕
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