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दुख खत्म नहीं होता क्यों, कैसे

 एक बार दो सहेली होती है एक का नाम आरती और दूसरी का नाम कविता होता है दोनों अक्सर आपस में जब भी मिलते सुख दुख कि बातें आपस में बता देती , दोनो आपस में बातें कर रहे होती है इसलिए निकिता को आरती की जिंदगी में जो भी उसे पता रहता एक दिन , आरती : दुख कभी खत्म ही नहीं होता । कविता : क्या हुआ जरा बताओ आरती: तुम्हें तो पता है क्या क्या हो रहा है उसी वजह से दुखी हूँ।  कविता : समझ जाती है , और कहती है आज फिर से किसी ने कुछ कहा क्या ओर आज क्या -क्या किया ओर क्या-क्या हुआ । आरती : नहीं, आज तो किसी ने कुछ नहीं कहा आज सुबह तैयार होकर कॉलेज गई ओर घर आकर खाना खाया फिर आराम किया ओर कुछ समय पढाई की फिर अब तुमसे बाते कर रहीं हूँ लेकिन जो भी मेरे साथ होता है उसी के कारण दुखी हूँ।  कविता : ये सब इसलिए होता है जैसा कि तुमने कहा कि आज किसी ने कुछ नहीं कहा , ना कुछ बुरा हुआ आज का दिन अच्छा गया लेकिन आज भी दुखी हो क्योंकि जो भी भूतकाल में हो चुका उसके बारे में सोच रही हो इसलिए दुखी आज के दिन तो खुश होना चाहिए आज कुछ भी बुरा नहीं हुआ ना किसी ने कुछ कहा । आरती : हाॅ, सही कहा आज क