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उस गांव की हवेली थी वो

 उस गांव की हवेली थी वो पांचो भाईयो के परिवार को एक साथ मिलाकर रखती थी। सब मिलकर खुशी से रहते थे धीरे-धीरे उस गांव में गरीबी आने लगी। जिस कारण से उनके परिवार का खान-पान अच्छे से नहीं चल पाता था इसलिए पांचो भाईयो के परिवार धीरे-धीरे उस गांव की हवेली थी वो गरीबी के कारण छोड़कर अलग-अलग शहर चले गये फिर अलग-अलग रहने लगे उस गांव की हवेली थी वो जो उन पांचो भाईयो के परिवार को मिलाकर रखती थी। गांव से शहर जाकर फिर शहर में बिज़नेस किया। कुछ साल बाद पांचो भाई गांव वापस आए । उस गांव की कई हवेली में जो पांच भाईयो का परिवार रहता था ।उन्होंने गांव में देखा गांव की स्थिति वैसी ही है जैसे पहले थी और गांव में विद्यालय भी नहीं था।  यह स्थिति देखकर फिर पांचो भाईयो ने मिलकर विचार किया कि गांव में एक विद्यालय खोला जाए जो हमने बिजनेस में पैसा कमाया उसमें से अपना कुछ हिस्सा गांव के लिए लगाए जाए यह विचार करने के बाद पांचो भाईयो ने मिलकर विद्यालय बनाने का फैसला लिया उस फैसले के बाद दूसरे ही दिन विद्यालय बनवाने का काम शुरू कर दिया । उस गांव की हवेली थी वो पांचो भाई फिर से वहाँ फिर से रहने लगे । जैस

Biography Nikita Garg

मेरा नाम निकिता गर्ग है । मेरा जन्म 24 दिसम्बर 2000 में हुआ । हरियाणा के जिला महेंद्रगढ़ के गाँव नाॅवाॅ में हुआ था। मेरे पिता का नाम रमेश कुमार जो कि वर्तमान में एक छोटे से दुकानदार है और मेरी माता का नाम संतोष देवी है । मेरी माता गृहिणी है ।मेरी आरम्भिक शिक्षा चौथी कक्षा तक महर्षि दयानंद पाठशाला से हुई जो कि सतनाली में स्थित है । पांचवी कक्षा से मैट्रिक तक शिक्षा शिक्षा भारती से हुई जो कि नाॅवाॅ गाँव में स्थित है । ग्यारहवी ओर बाहरहवी कक्षा नाॅवाॅ के सरकारी पाठशाला से हुई।   वर्तमान में मैं बीए सतनाली के सरकारी विश्वविद्यालय से कर रही हूँ। मैं 21 साल की हूँ मैं पढ़ाई में औसत तथा मध्यम रही हूँ। मुझे प्रेरणादायक शायरी लिखना पसंद है । मैं एक लेखक हूँ। मेरा लक्ष्य समाज तथा देश के सभी नागरिको को मेरे लेखन के माध्यम से प्रेरणा देना है और एक सफल व्यक्ति बनना है तथा सामाज व देश को सही दिशा का अनुभव करवाना । मैं समाज में रूढ़िवाद धारणा को हटाकर नव विचार धारणा को लाना चाहती हूँ।  धन्यवाद। Shayri इंसान का महत्व नहीं, बल्की उसके अच्छे स्वभाव का होता है। Nikita Garg