उस गांव की हवेली थी वो

 उस गांव की हवेली थी वो पांचो भाईयो के परिवार को एक साथ मिलाकर रखती थी। सब मिलकर खुशी से रहते थे धीरे-धीरे उस गांव में गरीबी आने लगी। जिस कारण से उनके परिवार का खान-पान अच्छे से नहीं चल पाता था इसलिए पांचो भाईयो के परिवार धीरे-धीरे उस गांव की हवेली थी वो गरीबी के कारण छोड़कर अलग-अलग शहर चले गये फिर अलग-अलग रहने लगे उस गांव की हवेली थी वो जो उन पांचो भाईयो के परिवार को मिलाकर रखती थी। गांव से शहर जाकर फिर शहर में बिज़नेस किया। कुछ साल बाद पांचो भाई गांव वापस आए ।

उस गांव की कई हवेली में जो पांच भाईयो का परिवार रहता था ।उन्होंने गांव में देखा गांव की स्थिति वैसी ही है जैसे पहले थी और गांव में विद्यालय भी नहीं था। 

यह स्थिति देखकर फिर पांचो भाईयो ने मिलकर विचार किया कि गांव में एक विद्यालय खोला जाए जो हमने बिजनेस में पैसा कमाया उसमें से अपना कुछ हिस्सा गांव के लिए लगाए जाए यह विचार करने के बाद पांचो भाईयो ने मिलकर विद्यालय बनाने का फैसला लिया उस फैसले के बाद दूसरे ही दिन विद्यालय बनवाने का काम शुरू कर दिया ।

उस गांव की हवेली थी वो पांचो भाई फिर से वहाँ फिर से रहने लगे । जैसे ही काम शूरू हुआ गांव के सब लोगो ने मिलकर विद्यालय बनाने में मदद की ओर फिर चार महीने में जाकर विद्यालय बना । 

उस विद्यालय के कमरो पर उन पांचो भाईयो का नाम लिखा उसके बाद विद्यालय में अध्यापक कि व्यवस्था करने के लिए सरकार के पास गए ओर अध्यापक की व्यवस्था की गई। 

उसके बाद विद्यालय में गांव के बच्चे पड़ने लगे ,फिर उस गांव की हवेली थी वो जो पांच भाई रहते थे उन्होने फैसला किया कि वो बारह साल बाद इस गांव फिर मिलेंगे वो वापस शहर लोट गए ।उस विद्यालय में बच्चे पड़ने के बाद कुछ अध्यापक बने ओर कुछ चित्रकार बने अलग-अलग तरह से बच्चो ने तरकी कि ओर गांव में अब सब लोग उस विद्यालय की वजह से आत्मनिर्भर बने। जैसे ही बारह साल पुरे हुए वो पांचो भाई वापस गांव आए ओर देखा कि एक विद्यालय कि वजह से गांव के लोग आत्मनिर्भर बन गए ।यह देखकर पांचो भाई बहुत खुश हुए।

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